Chaudhary Charan Singh: A farmer son to Prime Minister of India. चौधरी चरण सिंह: एक किसान पुत्र से भारत के प्रधान मंत्री तक। Kisan Divas/ Bharat Ratna

Chaudhary Charan Singh: A farmer son to Prime Minister of India. चौधरी चरण सिंह: एक किसान पुत्र से भारत के प्रधान मंत्री तक। Kisan Divas/ Bharat Ratna

Synopsis: मुगल और बाद में अंग्रेजों के लंबे शासन के बाद 1947 में भारत को आजादी मिली और पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधान मंत्री बने। आज़ादी के बाद आज़ाद भारत में बहुत सारे काम शुरू करने की ज़रूरत थी। शहरों का विकास, बुनियादी ढाँचा, उद्योग विकास और एक प्रमुख क्षेत्र कृषि था। भारतीय किसान बहुत गरीब थे और वहां जमींदारों, साहूकारों का भारी प्रभुत्व था, खेती की कोई व्यवस्थित व्यवस्था नहीं थी। ऐसी स्थिति में एक ऐसे किसान नेता की आवश्यकता थी जो किसानों के दर्द को समझता हो और उस दौरान चौधरी चरण सिंह एक किसान नेता के रूप में चमके और बाद में आधुनिक काल में उन्हें किसानों का मसीहा कहा जाने लगा। 2024 में भारत सरकार ने स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न पुरस्कार देने की घोषणा की। इसलिए इस अवसर पर हम किसानों के लिए स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के योगदान को याद करेंगे।

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Early Life(प्रारंभिक जीवन): चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1903 को संयुक्त प्रांत आगरा के ग्राम नूरपुर के एक ग्रामीण जाट किसान परिवार में हुआ था। चरण सिंह ने महात्मा गांधी से प्रेरित भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के हिस्से के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। वह 1931 से गाजियाबाद जिला आर्य समाज के साथ-साथ मेरठ जिला भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय थे, जिसके लिए उन्हें अंग्रेजों द्वारा दो बार जेल भेजा गया था। आज़ादी से पहले, 1937 में चुने गए संयुक्त प्रांत की विधान सभा के सदस्य के रूप में, उन्होंने उन कानूनों में गहरी दिलचस्पी ली जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक थे और उन्होंने धीरे-धीरे जमींदारों द्वारा भूमि जोतने वालों के शोषण के खिलाफ अपना वैचारिक और व्यावहारिक रुख बनाया। वह एक अच्छे छात्र थे और उन्होंने 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) की डिग्री और 1926 में कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1928 में गाजियाबाद में एक सिविल वकील के रूप में अभ्यास शुरू किया।

Journey As a Farmer and political leader (एक किसान और राजनीतिक नेता के रूप में यात्रा): फरवरी 1937 में वह 34 साल की उम्र में छपरौली (बागपत) निर्वाचन क्षेत्र से संयुक्त प्रांत की विधान सभा के लिए चुने गए। 1938 में उन्होंने विधानसभा में एक कृषि उपज बाजार विधेयक पेश किया जो दिल्ली के हिंदुस्तान टाइम्स के 31 मार्च 1938 के अंक में प्रकाशित हुआ था। इस विधेयक का उद्देश्य व्यापारियों की लोलुपता के खिलाफ किसानों के हितों की रक्षा करना था। इस विधेयक को भारत के अधिकांश राज्यों ने अपनाया, पंजाब 1940 में ऐसा करने वाला पहला राज्य था। चरण सिंह ने ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता के लिए अहिंसक संघर्ष में महात्मा गांधी का अनुसरण किया और कई बार जेल गए। 

चरण सिंह ने भारत में सोवियत शैली के आर्थिक सुधारों पर जवाहरलाल नेहरू का विरोध किया। चरण सिंह का विचार था कि सहकारी फार्म भारत में सफल नहीं होंगे। एक किसान का बेटा होने के नाते, चरण सिंह का मानना ​​था कि कृषक बने रहने के लिए स्वामित्व का अधिकार किसान के लिए महत्वपूर्ण है। वह किसान स्वामित्व की व्यवस्था को संरक्षित और स्थिर करना चाहते थे। नेहरू की आर्थिक नीति की खुली आलोचना के कारण चरण सिंह के राजनीतिक करियर को नुकसान हुआ।

चरण सिंह ने 1967 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, भारतीय क्रांति दल बनाई। राज नारायण और राम मनोहर लोहिया की मदद और समर्थन से वह 1967 में और बाद में 1970 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। चरण सिंह मोरारजी देसाई सरकार में कैबिनेट मंत्री बने और 24 मार्च 1977 को गृह मंत्री के रूप में पदभार संभाला। चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस पार्टी के बाहरी समर्थन से 28 जुलाई 1979 को प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली।

Notable work for Farmers (किसानों के लिए उल्लेखनीय कार्य): चौधरी चरण सिंह और चौधरी अजीत सिंह द्वारा किसानो के लिए किए गए कार्य:

  1. 1938 में एपीएमसी (कृषि उपज बाज़ार समिति) Agricultural Produce Market Committee (APMC)अधिनियम का गठन।
  2. जमीदारी व्यवस्था को खतम किया।
  3. चकबंदी प्रणाली को लागू किया।
  4. नाहर और राजबहे के कुलाबे को पक्का बनवाया।
  5. पटवारी की पावर को काम करके लेखपाल को नियुक्‍त किया।
  6. गांव के विकास के लिए बहूत सारे कुटीर उद्योग को खुलवाया।
  7. एक बार जब मोरार जी देसाई की सरकार बनी तब गन्ना का रेट 2 रुपये क्विंटल हो गया था तब चौधरी चरण सिंह जी ने इस्तीफा दे दिया तब स्थिति ऐसी बनी की मोरार जी को चौधरी साब को दोबारा बुलाना पड़ा और फिर गन्ना का रेट 35 -40 रुपए क्विंटल हो गया।
  8. एक बार नेहरू जी यूरोप घूम कर आए और इंडिया में कॉरपोरेट फार्मिंग को लगवाने का एक्ट 1953 में संसद में पेश किया गया तब नेहरू का औहदा इंतना था कि उनके सामने कोई बोल नहीं सकता था अकेले चौधरी चरण सिंह संसद में खड़े होकर 1.5 घंटे बहस किया था और नेहरू जी को कॉर्पोरेट खेती अधिनियम को वापसी करना पड़ा।
  9. चौधरी चरण सिंह जी ने 3 महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी है, आर्थिक नीति, Economic nightmare of India, कॉर्पोरेट खेती- एक्स रे।

भारत में हर साल 23 दिसंबर को भारत रतन चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है. 

Chaudhary Charan Singh: A farmer son to Prime Minister of India. चौधरी चरण सिंह: एक किसान पुत्र से भारत के प्रधान मंत्री तक।

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